Wednesday, November 26, 2008

चुनावी रात - खामोश क्यूँ है ये चौराहा...............

यह नजारा है जबलपुर के दमोहनाका चौराहे में २७ नवम्बर की आधी रात का , आम तोर पर सारी रात जागने वाला यहाँ चौराहा खामोश है उसके दूर दूर तक सुई पटक सन्नाटा है .कोई कह रहा था ये रात मे बांटी गई दारू का असर है। जिन्हें मिली वो रतजगा करने वाले सुरूर मे सो गए । कुछ को कम्बल मिले तो वे जाडा शांत करने दुबक कर नींद् मे गाफिल हो गए । जरुरत मंद आम आदमी इसलिए रात सडको पर नही निकला की उसे पुलिस के डंडे का भय था । थंकी सी रौशनी के बीच यह चित्र और भी कुछ कह रहा है .एक बात और भी है की २७ की सुबह छेत्रके विधायको का चयन होना है .

Friday, November 14, 2008

वो सबक...
में जबलपुर की सिहोरा तहसील के गाँव बरगवां में पैदा हुआ। बात उन दिनों की है जब में गावं के स्कूल में ही कक्चा पांचवीं पड़ता था । स्कूल केप्टिन भी था।मौसम बरसात का था। में बस्ता लेकर स्कूल जा रहा था। पगडंडी कीचड से सराबोर थी। पैर फिसलने की वजह से में गिर गया। मेरे कपड़े गंदे हो गए। मेंने उन कपडों को खेत में भरे पानी में धोया फिर उन्ही कपडों को पहनकर स्कूल पहुँचा काफी देर हो गई। स्कूल की चावी मेरे पास थी इसलिए मासाब और सभी छात्र बाहर ही खड़े थे। मासाब काफी नाराज हुए. उन्होंने मुझे जमकर लताड़ लगाई. गुस्से में में चावी और बस्ता फेककर घर भाग आया। घर पर आकर मैं खाना ही खा रहा था की मासाब घर आ गए। उन्होंने मेरे माता -पिता को बस्ता फेककर भाग आने की बात बताई। मेरी मां ने कहा मासाब इसे आप अभी स्कूल ले जाओ। मासाब ने खाते में से ही मुझे उठाया और मारते हुए एक किलोमीटर दूर स्कूल तक ले गए। नाराज होकर भागने की सजा दी और समझाया भी। मैंने घर आकर माता पिता से सिकायत की की वो कुछ बोले क्यों नही। दोनों ने एक स्वर में कहा मासाब ने ठीक किया...आज लगता है की उस सबक ने मुझे इस उचे मुकाम तक पहुँचा दिया.......

Monday, November 10, 2008

मेरी गली का कोना

ये ब्लॉग मेरे उन अजीजों को समर्पित है जो अपनी गली में खड़े होकर इंडिया नही बल्कि भारत को देखते और महसूस करते हैं।

Friday, November 7, 2008

अभीप्सितार्थ सिध्यर्थं पूजितो या सुरा सुरैः
सर्व विघ्न हर्श्ताश्मै महागानाधिपताये नमः .