Saturday, December 6, 2008
बात जबलपुर हॉस्पिटल की है। ५ दिसम्बर की रात यहाँ आईसीयू वार्ड में एक रिटायर फौजी मौत से सांसों के लिए जंग लड़ रहा था। फौजी के इकलौते, और बेरोजगार बेटे की आंखों में पानी था। उसके कथित अपने डॉक्टर द्वारा लिखी गई पर्चियां उसके हाथों में थमा देते। वह दौड़कर जाता दवा लेकर आता। खून देने की बात आई तो अपनों ने फौजी के बेटे को ही पलंग पर लिट्वा दिया । पलंग पर लेता वह मासूम यही सोच रहा था कि काश में कुछ कमा रहा होता...तो अपनों से बेगानों सा ये व्योहार न झेलना पड़ता।शायद जिन्दगी के सच से उसका सामना भी हो गया.........
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4 comments:
हिन्दी ब्लॉग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है, खूब लिखें और नाम कमायें यही शुभकामनायें हैं… एक अर्ज है कि कृपया डेशबोर्ड में जाकर वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा दें, यह टिप्पणी देने में बाधक बनता है… धन्यवाद
हिन्दी लिखाड़ियों की दुनिया में आपका हार्दिक स्वागत है, खूब लिखें नाम कमायें । हार्दिक शुभकामनायें
मार्मिक ..
बहुत ... बहुत .. बहुत अच्छा लिखा है
हिन्दी चिठ्ठा विश्व में स्वागत है
टेम्पलेट अच्छा चुना है
कृपया वर्ड वेरिफ़िकेशन हटा दें
कृपया मेरा भी ब्लाग देखे और टिप्पणी दे
http://www.ucohindi.co.nr
आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है.....आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे .....हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
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